यह घटना है मुरैना की। यहां के एक व्यवसायी थे विश्वंभरनाथ बजाज। इनकी उम्र 75 वर्ष थी। विश्वंभरनाथ काफी समय से बीमार चल रहे थे।
एक दिन अचानक ही इनकी सांसें थम गई और लोगों ने समझ की इनकी मृत्यु हो चुकी है। आनन-फानन में लोग मृतक संस्कार में लग गए।
लेकिन इसी बीच विश्वंभरनाथ जी के शरीर हलचल होने लगी और वह उठकर बैठ गए। लोग बड़े हैरानी से उनकी ओर देख रहे थे।
लोगों की हैरानी दूर करते हुए विश्वंभरनाथ ने जो कहा उस सुनकर लोगों को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। विश्वंभरनाथ ने बताया कि उन्हें कुछ लोग उठाकर आकाश में एक दिव्य पुरुष के पास ले गए।
वह पुरुष वृषभ पर बैठा था। उन्होंने मुझे ले जाने वाले को डांटते हुए कहा कि इसे क्यों ले आए। इन्हें तुरंत पृथ्वी पर छोड़ आओ।
इसके शहर में एक अन्य व्यक्ति है जिसे लाने के लिए मैने कहा है उसे लेकर आओ। इस घटना के बाद अगले दिन पता चला कि जिस समय विश्वंभरनाथ के प्राण लौटे थे ठीक उसी समय श्रीग्यासीराम नाम के एक अन्य व्यवसायी की हृदयगति रुक जाने से मृत्यु हो गयी थी।
एक दिन अचानक ही इनकी सांसें थम गई और लोगों ने समझ की इनकी मृत्यु हो चुकी है। आनन-फानन में लोग मृतक संस्कार में लग गए।
लेकिन इसी बीच विश्वंभरनाथ जी के शरीर हलचल होने लगी और वह उठकर बैठ गए। लोग बड़े हैरानी से उनकी ओर देख रहे थे।
लोगों की हैरानी दूर करते हुए विश्वंभरनाथ ने जो कहा उस सुनकर लोगों को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। विश्वंभरनाथ ने बताया कि उन्हें कुछ लोग उठाकर आकाश में एक दिव्य पुरुष के पास ले गए।
वह पुरुष वृषभ पर बैठा था। उन्होंने मुझे ले जाने वाले को डांटते हुए कहा कि इसे क्यों ले आए। इन्हें तुरंत पृथ्वी पर छोड़ आओ।
इसके शहर में एक अन्य व्यक्ति है जिसे लाने के लिए मैने कहा है उसे लेकर आओ। इस घटना के बाद अगले दिन पता चला कि जिस समय विश्वंभरनाथ के प्राण लौटे थे ठीक उसी समय श्रीग्यासीराम नाम के एक अन्य व्यवसायी की हृदयगति रुक जाने से मृत्यु हो गयी थी।
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